सीआरआर (कैश रिजर्व रेशियो) आरबीआइ का महंगाई कम करने के उपायों में से एक है। इसके अंतर्गत सभी बैंकों को मांग एवं समय जमा पर न्यूनतम 03 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक धनराशि पाक्षिक आधार पर आरबीआइ के पास रखना होता है। समय-समय पर आरबीआइ इसका प्रतिशत घटाता - बढ़ाता रहता है। जब महंगाई बढ़ने लगती है तो इसका प्रतिशत बढ़ा दिया जाता है और मंदी आने लगती है तो इसका प्रतिशत घटा दिया जाता है। वर्तमान में सीआरआर 4.5 प्रतिशत है।
रेपो रेट - वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है। रेपो रेट का पूरा नाम पुनर्खरीद समझौता या पुनर्खरीद विकल्प है। बैंक अर्हक प्रतिभूतियाँ बेचकर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से ऋण प्राप्त करते हैं।
रिवर्स रेपो दर - वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक) देश के भीतर वाणिज्यिक बैंकों से पैसा उधार लेता है। यह एक मौद्रिक नीति उपकरण है जिसका उपयोग देश में धन आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।
CRR (Cash Reserve Ratio) is one of the measures taken by RBI to reduce inflation. Under this, all banks have to keep minimum 03 percent to 15 percent amount with RBI on fortnightly basis on demand and time deposits. From time to time, RBI keeps increasing or decreasing its percentage. When inflation starts increasing then its percentage is increased and when recession starts coming then its percentage is decreased. Presently the CRR is 4.5 percent.
Reverse repo rate is the rate at which the central bank of a country (Reserve Bank of India in case of India) borrows money from commercial banks within the country. It is a monetary policy instrument which can be used to control the money supply in the country.